class 6th science notes in Hindi 1. भोजन के घटक |
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Textbook | NCERT |
Class | Class – 6th |
Subject | Science |
Chapter | Chapter – 1 |
chapter name | भोजन के घटक |
Medium | Hindi |
प्रत्येक व्यंजन एक या एक से अधिक प्रकार की कच्ची सामग्री से बनें होता है जो हमें पादपों या जंतुओं से मिलते है।
पोषक – हमारे शरीर के लिए कुछ आवश्यक घटक होते हैं इन घटकों को हम पोषक कहते हैं ।
मुख्य पोषक – कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, विटामिन तथा खनिज – लवण इसके अतिरिक्त हमारे भोजन में रूक्षांश तथा जल भी शामिल है जो हमारे शरीर के लिए आवश्यक होती है।
कार्बोहाइड्रेट के प्रकार
कार्बोहाइड्रेट के मुख्य तीन प्रकार होते हैं इसमें से दो हमारे भोजन में मुख्य रूप से पाए जाते हैं।
– 1. मड़ तथा 2. शर्करा
परीक्षण | खाध पदार्थ | रसायन | परिणाम |
मंड का परीक्षण | मंड युक्त खाध पदार्थ | तनु आयोडिन विलियन | नीला या काला रंग |
प्रोटीन का परिक्षण | प्रोटीन युक्त खाध पदार्थ | कापर सल्फेट का विलयन तथा कास्टिक सोडा का विलयन | बैंगनी रंग |
वसा का परिक्षण | वसा युक्त खाध पदार्थ | कागज | तेल के धब्बे |
विभिन्न पोषक हमारे शरीर के लिए क्या करते हैं ?
कार्बोहाइड्रेट – कार्बोहाइड्रेट मुख्य रूप से हमारे शरीर को ऊर्जा प्रदान करते हैं ।
कार्बोहाइड्रेट के कुछ स्रोत – मक्का,आम, बाजरा, तरबूज, चावल, गेहूं, शकरकंद, आलू, गन्ना, पपीता ।
वसा – वसा से भी ऊर्जा मिलती है । वास्तविक ता यह है की कार्बोहाइड्रेट की तुलना में वसा की समान मटर से हमें अधिक ऊर्जा प्राप्त होती है ।
वसा के कुछ स्रोत –
पादप स्रोत – मूँगफली, तिल, गिरी, सूरजमुखी का तेल, सरसों का तेल, नारियल का तेल, सोयाबीन का तेल।
जन्तु स्रोत – अंडे, मछली, मांस, घी, मक्खन, दूध क्रीम ।
अधिक वसायुक्त भोजन खाना हमरे लिए बहुत हानिकारक हो सकता है । हमरे भोजन में वसा की मात्रा अत्यधिक मोटापे का कारण बनती है
नोट – वसा और कार्बोहाइड्रेट युक्त भोजन को ‘ऊर्जा देने वाला भोजन ‘ भी कहते हैं ।
प्रोटीन – प्रोटीन की आवश्यकता शरीर की वृद्धि तथा स्वस्थ रहने के लिए होती है । प्रोटीनयुक्त भोजन को प्रायः ‘शरीर वर्धक भोजन’ कहते हैं ।
प्रोटीन के कुछ स्रोत –
पादप स्रोत – सोयाबीन, मटर, चना, मूँग, तुअर दाल, राजमा ।
जन्तु स्रोत – अंडे, पनीर, मछली, मांस, दूध।
विटामिन – विटामिन रोगों से हमारे शरीर की रक्षा करते हैं । विटामिन हमारी आँख, अस्थियों, दाँत और मासूढों को स्वस्थ रखने में भी सहायता करते हैं ।
विटामिन | कमी से होने वाला रोग | स्रोत |
विटामिन – A | रतौंधी, संक्रमणों का खतरा, जीरोप्यैलमिया | दूध, अंडा, पनीर,हरी साग सब्जी, मछलीयकृत तेल, आम, गाजर, पपीता |
विटामिन – B1 | बेरी-बेरी | मूँगफली, तिल, सूखा मिर्च, बिना घुली दाल, यकृत अंडा एवं सब्जियाँ |
विटामिन – B2 | त्वचा का फटना, आँखों का लाल होना, जिह्वा का फटना | खमीर, कलेजी, मांस, हरी सब्जियाँ,दूध |
विटामिन – B3 | पेलाग्रा (त्वचा दाद) या 4-D-सिंड्रोम | मांस, मूँगफली, आलू, टमाटर, पत्ती वाली सब्जियाँ |
विटामिन – B5 | बाल सफेद होना, मंद बुद्धि होना | मांस, दूध,मूँगफली, गन्ना, टमाटर |
विटामिन – B6 | एनीमिया, त्वचा रोग | यकृत, मांस, अनाज |
विटामिन – B7 | लकवा, शरीर में दर्द, बालों का गिरना | मांस अंडा यकृत दूध |
विटामिन – B11 | एनीमिया, पेचिश रोग | दाल, यकृत,सब्जियाँ,अंडा,सेम |
विटामिन – B12 | एनीमिया, पांडुरोग | मांस, कलेजी, दूध |
विटामिन – C | स्कर्बी, मसूढ़े का फुलना | नींबू, संतरा, नारंगी, टमाटर, खट्टे पदार्थ, मिर्च अंकुरित अनाज |
विटामिन – D | रिकेट्स (बच्चों में) ऑस्टियोमलेशिया (वयस्क में) |
मछलीयकृत तेल, दूध, अंडे, मक्खन, |
विटामिन – E | जनन शक्ति का कम होना | पत्ती वाली सब्जियाँ, दूध, मक्खन, अंकुरित गहूँ, वनस्पति तेल |
विटामिन – K | रक्त का थक्का न बनना | टमाटर, हरी सब्जियाँ, आँतों में भी उत्पन्न होती है । |
नोट – पकाने में विटामिन C आसानी से गर्मी से नष्ट हो जाता है ।
खनिज लवणों – खनिज लवणों की आवश्यकता अल्प मात्रा में होती है । शरीर के उचित विकास तथा अच्छे स्वस्थ्य के लिए प्रत्येक खनिज लवण आवश्यक हैं ।
आहारी रेशों – आहारी रेशे रुक्षांश के नाम से भी जाने जाते हैं हमारे खाने में रुक्षांश की पूर्ति मुख्यतः पादप उत्पादों से होती है । रुक्षांश हमारे शरीर को कोई पोषक पार्डन नहीं करते हैं फिर भी यह हमारे भोजन का आवश्यक अवयव है और इसका आयतन बढ़ देते हैं रुक्षांश बिना पचे भोजन को बाहर निकालने में हमारे शरीर की सहायता करते है ।
रुक्षांश के मुख्य स्रोत – सबूत खाधान्न, दाल, आलू , ताज़े फल और सब्जियाँ हैं ।
जल – जल भोजन में उपस्थित पोषकों को अवशोषित करने में हमारे शरीर की सहायता करता है । यह कुछ अपशिष्ट – पदार्थों जैसे की मूत्र तथा पसीने को शरीर से बाहर निकालने में सहायता करता है
संतुलित आहार – हमारे शरीर की वृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य के लिए हमारे आहार में वे सभी पोषक तत्व उचित मात्रा में होने चाहिए जिनकी हमारे शरीर को आवश्यकता है । कोई भी पोषक तत्व न आवश्यकता से आधिक हो और न ही कम । हमारे आहार में पर्याप्त मात्रा में रुक्षांश तथा जल भी होना चाहिए । इस प्रकार के आहार को संतुलित आहार कहते हैं ।
अभावजन्य रोग – एक या एक से अधिक पोषक तत्वों का अभाव हमारे शरीर में रोग अथवा विकृतियाँ उत्पन्न कर सकता है । वे रोग जो लंबे अवधि तक पोषकों के अभाव के कारण होते हैं, उन्हें अभावजन्य रोग कहते हैं ।
विटामिन /खनिज | अभावजन्य रोग / विकार | लक्षण |
विटामिन – A | क्षीणता दृष्टिहीनता | कमज़ोर दृष्टि , अंधेरे (रात) में काम दिखाई देना, कभी – कभी पूरी तरह से दिखाई देना बंद हो जाना |
विटामिन – B1 | बेरी – बेरी | दुर्बल पेशियाँ और काम करने की ऊर्जा में कमी |
विटामिन – C | स्कर्वी | मसूढ़ों से खून निकलना , घाव भरने में अधिक समय का लगना |
विटामिन – D | रिकेट्स | अस्थियों का मुलायम होकर मुंड जाना |
कैल्सियम | अस्थियाँ और दंतक्षय | कमज़ोर अस्थियाँ, दंतक्षय |
आयोडीन | घेंघा | गर्दन की ग्रन्थि का फूल जाना, बच्चों में मानसिक विकलांगता |
लोह | अरक्तता | कमज़ोरी |
नोट – सभी अभावजन्य रोगों की रोकथाम संतुलित आहार लेने से की जा सकती है ।