Class 9th Polity notes in Hindiचुनावी राजनीति |
|
Textbook | NCERT |
Class | Class – 9th |
Subject | Polity |
Chapter | Chapter – 3 |
Chapter name | चुनावी राजनीति |
Medium | Hindi |
चुनावी राजनीति NCERT notes in Hindi
इस अध्याय में लोकतंत्र के अंतर्गत होने वाले चुनाव के बारे में बताया गया है, हम इस अध्याय में यह समझेंगे कि आख़िर चुनाव क्यों जरूरी है आख़िर चुनाव क्यों होने चाहिए।
चुनाव क्यों
लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था में लोग अपने प्रतिनिधियों के माध्यम से शासन करते हैं। क्योंकि किसी भी बड़े समुदाय के लिए ऐसा करना संभव नहीं है ना ही यह संभव है कि हर किसी के पास हर मामले पर फैसला करने का समय और ज्ञान हो इसीलिए प्रतिनिधियों का चुनाव किया जाता है।
- लोकतंत्र का सबसे आम स्वरूप लोगों द्वारा अपने प्रतिनिधियों के माध्यम से शासन चलाने का है।
- किसी भी लोकतंत्र में नियमित अंतराल पर चुनाव होते हैं।
- नोट – अनेक ऐसे देश जो लोकतांत्रिक नहीं है वहां भी चुनाव होते हैं।
लोकतंत्र में चुनाव क्यों जरूरी है ?
प्रतिनिधित्व वाले चुनाव में लोकतंत्र को जरूरी माना जाता है चुकी चुनाव एक ऐसी व्यवस्था है जिससे लोग नियमित अंतराल पर अपने प्रतिनिधियों को चुन सकते हैं और इच्छा हो तो उन्हें बदल भी सकते हैं यदि प्रतिनिधि उनके अनुरूप शासन ना करें तो।
चुनाव को लोकतांत्रिक मानने के आधार क्या है ?
लोकतांत्रिक चुनाव के लिए जरूरी न्यूनतम शर्तें निम्नलिखित है
- मताधिकार – हर किसी को चुनाव करने की सुविधा हो। यानी हर किसी को मताधिकार हो और हर किसी के मत का सामान मोल हो।
- चुनने का विकल्प – चुनाव में विकल्प उपलब्ध हों। पर्टियों और उम्मीदवारों को चुनाव में उतरने की आज़ादी हो और वह मतदाताओं के लिए विकल्प पेश करें।
- नियमित अंतराल पर चुनाव – चुनाव का अवसर नियमित अंतराल पर मिलता रहे। नए चुनाव कुछ वर्षों में जरूरी कराए जाने चाहिए।
- चुनने की स्वतंत्रता – लोग जिसे चाहे वास्तव में चुनाव उसी का होना चाहिए।
- स्वतंत्र और निष्पक्ष- चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष ढंग से कराए जाने चाहिए जिससे लोग सचमुच अपनी इच्छा से व्यक्ति का चुनाव कर सकें।
क्या राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता अच्छी चीज़ है ?
राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता या मुकाबला से संभव है कुछ भेदभाव पनपें और लोगों में आपसी मनमुटाव पैदा हो लेकिन आखिरकार इससे राजनीतिक दल और उसके नेता लोगों की सेवा के लिए बाध्य होते हैं।
भारत में चुनाव –
यहां लोकसभा और विधानसभाओं का चुनाव हार 5 साल बाद होते हैं। 5 साल के बाद सभी चुने हुए प्रतिनिधियों का कार्यकाल समाप्त हो जाता है लोकसभा और विधानसभाएं भंग हो जाती है।
आम चुनाव –
सभी चुनाव क्षेत्रों में प्रत्येक 5 साल में होने वाले इस चुनाव को आम चुनाव कहते हैं।
उपचुनाव –
किसी सदस्य की मृत्यु या इस्तीफे से खाली हुए पद के लिए सिर्फ एक क्षेत्र में चुनाव होता है, इस चुनाव को उपचुनाव कहा जाता है।
निर्वाचन क्षेत्र –
निर्वाचन क्षेत्र चुनाव के उद्देश्य से देश को अनेक क्षेत्रों में बांट लिया गया है इन्हें निर्वाचन क्षेत्र कहते हैं।
- एक क्षेत्र में रहने वाले मतदाता अपने एक प्रतिनिधि का चुनाव करते हैं।
- लोकसभा चुनाव के लिए देश को 543 निर्वाचन क्षेत्र में बांटा गया है।
- हर क्षेत्र से चुने गए प्रतिनिधियों को संसद सदस्य कहते हैं।
- भारत में प्रत्येक राज्य को उनकी विधानसभा की सीटों के हिसाब से बनता गया है इन सीटों से निर्वाचित प्रतिनिधियों को विधायक कहते हैं।
- प्रत्येक संसदीय निर्वाचन क्षेत्र में विधानसभा के कई कई निर्वाचन क्षेत्र आते हैं।
- नोट – प्रत्येक पंचायत को कई वार्डों में बांटा जाता है जो छोटे-छोटे निर्वाचन क्षेत्र हैं।
आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र –
हमारे संविधान में कमजोर वर्गों के लिए आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र की विशेष व्यवस्था की गई है इसी कारण कुछ चुनाव क्षेत्र अनुसूचित जातियों के लोगों के लिए आरक्षित है तो कुछ क्षेत्र अनुसूचित जनजाति के लोगों के लिए।
- अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट पर केवल अनुसूचित जाति का ही व्यक्ति चुनाव लड़ सकता है। अभी लोकसभा की 84 सिम अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित है।
- और इसी तरह सिर्फ अनुसूचित जनजाति के व्यक्ति अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित चुनाव क्षेत्र में चुनाव लड़ सकते हैं और लोकसभा में उनके लिए 47 सिम आरक्षित है।
- यह सिम पूरी आबादी में इन कमजोर समूह के हिस्से के अनुपात में है
- बाद में आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र की व्यवस्था हर चुनाव (पंचायत नगर पालिका और नगर निगमों) में कर दी गई।
- इसी प्रकार ग्रामीण और शहरी स्थानीय निकायों में एक तिहाई सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित की गई है।
मतदाता सूची –
मतदान करने की योग्यता रखने वालों की सूची मतदाता सूची कहलाती है।
- सभी सक्षम मतदाताओं का नाम मतदाता सूची में हो या व्यवस्था करना सरकार की जिम्मेदारी है।
- हर 5 वर्ष में मतदाता सूची का पूर्ण नवीकरण किया जाता है।
- वोट देने जाते समय मतदाता को यह पहचान पत्र साथ रखना होता है जिस किसी एक का बोर्ड कोई दूसरा ना डाल दे। मतदान के लिए इस कार्ड को अनिवार्य नहीं किया गया है।
- वोट देने के लिए मतदाता राशन कार्ड या ड्राइविंग लाइसेंस जैसे पहचान पत्र भी दिखा सकते हैं।
- हमारे देश में 18 वर्ष और उससे ऊपर की उम्र के सभी नागरिक चुनाव में वोट डाल सकते हैं नागरिक की जाति धर्म लिंग चाहे जो हो उसे मत देने का अधिकार है।
- अपराधियों और दिमागी संतुलन वाले कुछ लोगों को वोट देने के अधिकार से वंचित किया जा सकता है लेकिन ऐसा सिर्फ बेहद खास परिस्थितियों में ही होता है
उम्मीदवारों का नामांकन –
- उम्मीदवार बनने की न्यूनतम आयु 25 वर्ष है।
- चुनाव लड़ने के एक चूक हर एक उम्मीदवार को एक नामांकन पत्र भरना पड़ता है और कुछ रकम जमानत के रूप में जमा करनी पड़ती है।
- सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर उम्मीदवारों से एक घोषणा पत्र भरवाने की नई प्रणाली की शुरुआत हुई है अब हर उम्मीदवार को अपने बारे में कुछ विवरण देते हुए वैधानिक घोषणा करनी होती है।
प्रत्येक उम्मीदवार को इन मामलों के सारे विवरण देने होते हैं।
- उम्मीदवार के खिलाफ चल रहे गंभीर आपराधिक मामलों के बारे में विवरण।
- उम्मीदवार और उसके परिवार के सदस्यों की संपत्ति और देनदारी का ब्यौरा
- उम्मीदवार के शैक्षिक योग्यता।
राजनीतिक दल अपने उम्मीदवार मनोनीत करते हैं जिन्हें पार्टी का चुनाव चिन्ह और समर्थन मिलता है पार्टी के मनोरंजन को बोलचाल की भाषा में टिकट कहते हैं।
चुनाव अभियान –
जैसा कि हम जानते हैं चावन का मुख्य उद्देश्य लोगों को अपनी पसंद के प्रतिनिधियों सरकार और नीतियों का चुनाव करने का अवसर देना है। इसीलिए कौन प्रतिनिधि बेहतर है, कौन पार्टी अच्छी सरकार देगी या अच्छी नीति कौन सी है इस बारे में स्वतंत्र और खुली चर्चा चुनाव अभियान के दौरान की जाती है।
सभी पार्टियों और उम्मीदवारों को उचित और समान अवसर मिले इसके लिए चुनाव के कानून के अनुसार कोई भी पार्टी या उम्मीदवार यह सब काम नहीं कर सकती
- मतदाता को प्रलोभन देना घूस देना या धमकी देना
- उनसे जाति या धर्म के नाम पर वोट मांगना
- चुनाव अभियान में सरकारी संसाधनों का इस्तेमाल करना
- लोकसभा चुनाव में एक निर्वाचन क्षेत्र में 25 लाख या विधानसभा चुनाव में 10 लख रुपए से ज्यादा खर्च करना।
चुनाव प्रचार के आदर्श आचार संहिता के अनुसार इसमें उम्मीदवारों और पार्टियों को निम्नलिखत कार्यों को करने की मन ही होती है।
- चुनाव प्रचार के लिए किसी धर्मस्थल का उपयोग ।
- सरकारी वाहन विमान या अधिकारी का चुनाव में उपयोग
- चुनाव की अधिक घोषणा हो जाने के बाद मंत्री किसी बड़ी योजना का शीला न्यास बड़े नीतिगत फैसले या लोगों को सुविधाएं देने वाले वायदे नहीं कर सकते।
मतदान केंद्र –
मतदान केंद्र, अस्थाई तौर पर स्थानीय स्कूल या किसी सरकारी इमारत में बना होता है जहां पर जाकर मतदाता अपना वोट देता है।
किसी चुनाव क्षेत्र में सबसे ज्यादा मत पाने वाले उम्मीदवार को विजय घोषित किया जाता है
चुनाव में होने वाली गड़बड़ियों और धांधलियों की सूची निम्नलिखित है
- मतदाता सूची में फर्जी नाम डालने और असली नाम को गायब करना।
- शासक दल द्वारा सरकारी सुविधाओं और अधिकारियों का दुरुपयोग किया जाना।
- अमीर उम्मीदवारों और बड़ी पार्टियों द्वारा बड़े पैमाने पर धन खर्च करना। ii
- मतदान के दिन चुनावी धांधली मतदाताओं को डराना और फर्जी मतदान करना।
स्वतंत्र चुनाव आयोग –
हमारे देश में चुनाव एक स्वतंत्र और बहुत ताकतवर चुनाव आयोग द्वारा कराए जाते हैं इसे न्यायपालिका के समान ही आजादी प्राप्त है।
मुख्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति करते हैं एक बार नियुक्ति हो जाने के बाद निर्वाचन आयुक्त राष्ट्रपति या सरकार के प्रति जवाबदेह नहीं रहता।
निर्वाचन आयोग के कार्य –
निर्वाचन आयोग चुनाव की अधिसूचना जारी करने से लेकर चुनावी नतीजे की घोषणा तक पूरी चुनाव प्रक्रिया के संचालन के हर पहलू का निर्णय लेता है।
- यह आदर्श चुनाव संहिता लागू करता है और इसका उल्लंघन करने वाले उम्मीदवारों और पार्टियों को सज़ा देता है।
- चुनाव के दौरान निर्वाचन आयोग सरकार को तीसरा दिशा – निर्देश मानने का आदेश दे सकता है इसमें सरकार द्वारा चुनाव जीतने के लिए चुनाव में सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग रोकना या अधिकारियों का तबादला करना भी शामिल है।
- चुनाव ड्यूटी पर तैनात अधिकारी सरकार के नियंत्रण में न होकर निर्वाचन आयोग के अधीन काम करते हैं।
- अगर चुनाव अधिकारियों को लगता है कि कुछ मतदान केंद्रों पर या पूरे चुनाव क्षेत्र में मतदान ठीक ढंग से नहीं हुआ है तो वे वहां फिर से मतदान का आदेश देते हैं।
चुनाव में लोगों की भागीदारी –
चुनावी प्रक्रिया की गुणवत्ता को जांचने का तरीका है कि चुनाव में लोग उत्साह के साथ भागीदारी करते हैं या नहीं।
- चुनाव में लोगों की भागीदारी का पैमाना आमतौर पर मतदान करने वाले लोगों के आंकड़ों को बनाया जाता है। पिछले 50 वर्षों में यूरोप और उत्तरी अमेरिका के लोकतांत्रिक देश में मतदान की प्रतिशत गिरा है भारत में या तो स्थिर रहा है या ऊपर गया है।
- भारत में अमीर और बड़े लोगों की तुलना में गरीब, निरक्षर और कमजोर लोग ज्यादा संख्या में मतदान करते हैं जबकि पश्चिम के लोकतंत्र में स्थिति इससे उलट है अमेरिका में गरीब लोग, अफ्रीकी मूल के लोग और हिस्पैनिक लोग अमीर और श्वेत लोगों की तुलना में काफी कम मतदान करते हैं।
- भारत में आम लोग चुनाव को बहुत महत्व देते हैं उन्हें लगता है कि चुनाव के जरिए वे राजनीतिक दलों पर अपने अनुकूल नीति और कार्यक्रमों के लिए दबाव डाल सकते हैं उन्हें लगता है कि देश के शासन संचालन के तरीके में उनके वोट का महत्व है
स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव की चुनौतियां-
भारत में चुनाव बुनियादी रूप से स्वतंत्र और निष्पक्ष होता है।
- धन – ज्यादा रूपए पैसे वाले उम्मीदवार और पार्टीयां गलत तरीके से चुनाव जीत ही जाएंगे यह कहना मुश्किल है पर उनकी स्थिति दूसरों से मजबूत रहती है।
- बाहुबली – देश के कुछ इलाकों में आपराधिक पृष्ठभूमि और संबंधों वाले उम्मीदवार दूसरों को चुनाव मैदान से बाहर करने और बड़ी पार्टियों के टिकट पाने में सफल हो जाते हैं।
- परिवारवाद – अलग-अलग पार्टियों में कुछ एक परिवार का जोर है और उनके रिश्तेदार आसानी से टिकट पाए जाते हैं।
- बेहतर विकल्प न होना- अक्सर आम आदमी के लिए चुनाव में कोई ढंग का विकल्प नहीं होता क्योंकि दोनों प्रमुख पार्टियों की नीतियां और व्यवहार कमोबेश एक समान होते हैं।
- बड़ी पार्टियों की तुलना में छोटे दलों और निर्दलीयों उम्मीदवारों को कई तरह की परेशानियां उठानी पड़ती है।
प्रश्नावली
NCERT class 9 notes in Hindi
- चुनाव क्यों होते हैं, इस बारे में इसमें से कौन-सा वाक्य ठीक नहीं है?
- चुनाव लोगों को सरकार के कामकाज का फैसला करने का अवसर देते हैं।
- लोग चुनाव में अपनी पसंद के उम्मीदवार का चुनाव करते हैं ।
- चुनाव लोगों को न्यायपालिका के कामकाज का मूल्यांकन करने का अवसर देते हैं।
- लोग चुनाव से अपनी पसंद की नीतियां बना सकते हैं।
- भारत के चुनाव लोकतांत्रिक है, यह बताने के लिए इनमें कौन-सा वाक्य सही कारण नहीं देता है?
- भारत में दुनिया के सबसे ज्यादा मतदाता हैं ।
- भारत में चुनाव आयोग काफ़ी शक्तिशाली है।
- भारत में 18 वर्ष से अधिक उम्र का हर व्यक्ति मतदाता है।
- भारत में चुनाव हारने वाली पार्टियां जनादेश स्वीकार कर लेती है।
- निम्नलिखित में मेल ढूंढे –
- इस अध्याय में वर्णित चुनाव संबंधी सभी गतिविधियों की सूची बनाएं और उन्हें इन्हें चुनाव में सबसे पहले किए जाने वाले कम से लेकर आखिर तक के क्रम में सजा इनमें से कुछ मामले हैं चुनाव घोषणा पत्र जारी करना वोटो की गिनती मतदाता सूची बनाना चुनाव अभियान चुनाव नतीजे की घोषणा मतदान पूर्ण मतदान के आदेश चुनाव पर क्रिया की घोषणा नामांकन दाखिल करना
- सुरेखा एक राज्य विधानसभा क्षेत्र में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने वाली अधिकारी है चुनाव के इस चरणों में उसे किन-किन बातों पर ध्यान देना चाहिए
- चुनाव प्रचार
- मतदान के दिन
- मतगणना के दिन
- नीचे दी गई तालिका बताती है कि अमेरिकी कांग्रेस के चुनाव के विजय उम्मीदवारों में अमेरिकी समाज के विभिन्न समुदाय के सदस्यों का क्या अनुपात था। यह किस अनुपात में जीते इसकी तुलना अमेरिकी समाज में इन समुदायों की आबादी के अनुपात से कीजिए। इसके आधार पर क्या आप अमेरिकी संसद के चुनाव में भी आरक्षण का सुझाव देंगे ? अगर हां तो क्यों और किस समुदाय के लिए ? अगर नहीं तो, क्यों ?
- क्या हम इस अध्याय में दी गई सूचनाओं के आधार पर निम्नलिखित निष्कर्ष निकाल सकते हैं इनमें से सभी पर अपनी राय के पक्ष में दो तथ्य पर प्रस्तुत कीजिए।
- भारत के चुनाव आयोग को देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव करा सकने लायक पर्याप्त अधिकार नहीं है।
- हमारे देश के चुनाव में लोगों की जबर्दस्त भागीदारी होती है।
- सत्ताधारी पार्टी के लिए चुनाव जीतना बहुत आसान होता है।
- अपने चुनावों को पूरी तरह से निष्पक्ष और स्वतंत्र बनाने के लिए कई कदम उठाने जरूरी है।
- चिनप्पा को दहेज के लिए अपनी पत्नी को परेशान करने के जुर्म में सजा मिली थी। सतबीर को छुआछूत मानने की का दोषी माना गया था। दोनों को अदालत ने चुनाव लड़ने की इजाजत नहीं दी। क्या यह फैसला लोकतांत्रिक चुनवों के बुनियादी सिद्धांतों के खिलाफ है ? अपने उत्तर के पक्ष में तर्क दीजिए।
- यहां दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में चुनावी गड़बड़ियों की कुछ रिपोर्ट दी गई है क्या यह देश अपने यहां के चुनाव में सुधार के लिए भारत से कुछ बातें सीख सकते हैं प्रत्येक मामले में आप क्या सुझाव देंगे।
- नाइजीरिया के एक चुनाव में मतगणना अधिकारी ने जान – बूझकर एक उम्मीदवार को मिले वोटों की संख्या बढ़ा दी और उसे जीत हुआ घोषित कर दिया । बाद में अदालत ने पाया कि दूसरे उम्मीदवार को मिले 5 लाख वोट को उसे उम्मीदवार के पक्ष में दर्ज कर लिया गया था।
- फिजी में चुनाव से ठीक पहले एक के पर्चा बांटा गया जिसमें धमकी दी गई थी कि अगर पूर्व प्रधानमंत्री महेंद्र चौधरी के पक्ष में वोट दिया गया तो खून – खराबा हो जाएगा यह धमकी भारतीय मूल के मतदाताओं को दी गई थी ।
- अमेरिका के हर प्रांत में मतदान मतगणना और चुनाव संचालन की अपनी-अपनी प्रणालियों हैं सन 2000 के चुनाव में फ्लोरिडा प्रांत के अधिकारियों ने जॉर्ज बुश के पक्ष में अपने विवादास्पद फैसले लिए पर उनके फैसले को कोई भी नहीं बदल सका।
- भारत में चुनावी गड़बड़ियों से संबंधित कुछ रिपोर्टे यहां दी गई हैं। प्रत्येक मामले की पहचान कीजिए। इन्हें दूर करने के लिए क्या किया जा सकता है ?
- चुनाव की घोषणा होते हैं मंत्री महोदय ने बंद पड़ी चीनी मिल को दोबारा खोलने के लिए वित्तीय सहायता देने की घोषणा की।
- विपक्षी दलों का आरोप था कि दूरदर्शन और आकाशवाणी पर उनके बयानों और चुनाव अभियान को उचित जगह नहीं मिली।
- चुनाव आयोग की जांच से एक राज्य की मतदाता सूची में 20 लाख फर्जी मतदाताओं के नाम मिले।
- एक राजनीतिक दल के गुंडे बंदूकों के साथ घूम रहे थे दूसरी पार्टियों के लोगों को मतदान में भाग लेने से रोक रहे थे और दूसरी पार्टी की चुनावी सभाओं पर हमला कर रहे थे।
- जब यह अध्याय पढ़ाया जा रहा था तो रमेश कक्षा में नहीं आ पाया था । अगले दिन कक्षा में आने के बाद उसने अपने पिताजी से सुनी बातों को दोहराया । क्या आप रमेश को बता सकते हैं कि उसके इन बयानों में क्या गड़बड़ी है ?
- औरतें उसी तरह वोट देती हैं जैसा पुरुष उनसे कहते हैं इसीलिए उनको मताधिकार देने का कोई मतलब नहीं है।
- पार्टी -पॉलिटिक्स से समाज में तनाव पैदा होता है चुनाव में सब की सहमति वाला फैसला होना चाहिए प्रतिद्वंता नहीं होनी चाहिए।
- सिर्फ स्नातकों को ही चुनाव लड़ने की इजाज़त होनी चाहिए।